प्रैस विज्ञप्ति : मोदी सरकार पर विजय हासिल करने पर, आइफा देशभर के आंगनवाड़ी कर्मचारियों को बधाई देती है संघर्षों के दबाव में आकर मोदी सरकार को आंगनवाड़ी वर्कर्स का मानदेय 1500रू , मिनी आंगनवाड़ी वर्कर्स को मानदेय 1250 और हैल्पर्स का मानदेय 750रू बढ़ाना पड़ा। निरंतर संघर्षों और 5 सितम्बर 2018 को हुई मजदूर-किसान संघर्ष रैली का प्रभाव

मोदी सरकार पर विजय हासिल करने पर, आइफा देशभर के आंगनवाड़ी कर्मचारियों को बधाई देती है
संघर्षों के दबाव में आकर मोदी सरकार को आंगनवाड़ी वर्कर्स का मानदेय 1500रू , मिनी आंगनवाड़ी वर्कर्स को मानदेय 1250 और हैल्पर्स का मानदेय 750रू बढ़ाना पड़ा।
निरंतर संघर्षों और 5 सितम्बर 2018 को हुई मजदूर-किसान संघर्ष रैली का प्रभाव
आइफा मांग करती है कि 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की स्कीम वर्कर्स से संबंधित सिफारिशें तुरंत लागू की जाएं - न्यूनतम वेतन 18000रू प्रतिमाह, पेंशन व सामाजिक सुरक्षा लाभ व मजूदर की मान्यता दी जाए
आईसीडीएस में प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण के निर्णय को वापस लिया जाए और आधार से जोड़ने के नाम पर लाभार्थियों को आईसीडीएस योजना से बाहर निकालना बंद करें।
 
अखिल भारतीय आंगनवाड़ी सेविका एवं सहायिका फैडरेशन ( आइफा ) देशभर के सभी आंगनवाड़ी सेविकाओं व सहायिकाओं को बधाई देती है कि वे मोदी सरकार पर आंगनवाड़ी कर्मचारियों का वेतन  बढ़ाने का दबाव बना पाए।यह पिछले चार सालों में आइफा के नेतृत्व में अपनी लंबित मांगों पर चलाए जा रहे लगातार संघर्षों के साथ - साथ 5 सितम्बर 2018 को हुई मज़दूर - किसान संघर्ष रैली जिसमें करीब 50 हज़ार आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था, ये उसका ही नतीजा है। आइफा द्वारा इन लंबित मांगों पर लाभार्थियों से तीन करोड़ हस्ताक्षर एकत्रित किए गए हैं। लेकिन यह ध्यान रहे कि अभी पांच राज्यों में चुनाव होने हैं और अगला संसदीय चुनाव भी नज़दीक ही है, इसलिए मोदी सरकार वेतन बढ़ाने को मजबूर हुई।
 
प्रधान मंत्री जी ने घोषणा की है कि आंगनवाड़ी वर्कर्स का वेतन 1500 रू प्रतिमाह, मिनी आंगनवाड़ी वर्कर्स का वेतन 1250रू प्रतिमाह तथा हैल्पर्स का वेतन 750 रू प्रतिमाह बढ़ाया गया है। कुल मिलाकर आंगनवाड़ी वर्कर को 4500रू प्रतिमाह, मिनी आंगनवाड़ी वर्कर को 3500 रू प्रतिमाह तथा हैल्पर्स को 2250रू प्रतिमाह मिलेंगे। सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों को देखा जाए तो यह मजदूर वर्ग के संघर्ष की बड़ी उपलब्धि है। 
यह नोट किया जाना चाहिए कि आईसीडीएस में वर्तमान फंड का बंटवारा 60ः40 के अनुपात के आधार पर किया जाता है, दरअसल भारत सरकार आंगनवाड़ी कर्मचारियों को 900रू प्रतिमाह, 750रू प्रतिमाह और 450रू प्रतिमाह करती है। इसके अलावा आंगनवाड़ी कर्मचारियों के लिए अन्य जो भी घोषणाएं की गईं है वे भी पहले से मौजूद अन्य योजनाएं ही हैं। परन्तु आईसीडीएस योजना को स्थाई बनाने के प्रश्न पर मोदी जी ने कुछ नहीं कहा, जोकि भारत के प्रत्येक बच्चे और मां का भोजन, स्वास्थ्य और शिक्षा पाने का अधिकार है। आंगनवाड़ी कर्मचारियों के न्यूनतम वेतन व पेंशन पाने के अधिकार के बारे में मोदी जी ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने स्पष्ट तौर पर बिल्कुल नहीं बताया कि वे आईसीडीएस के लिए कितना बजट आवंटित करने वाले हैं।
 
स्वयं को कुपोषण दूर करने में चैंपियन बताने वाली ये वही मोदी सरकार है, जो आईसीडीएस के बजट में लगातार भारी कटौती कर रही है। आज भी बहुत से राज्यों में फंड का अभाव होने के कारण पिछले 3-6 महीनों से पोषाहार की आपूर्ति नहीं हो पा रही और आंगनवाड़ी वर्कर्स और हैल्पर्स की वेतन भी लंबित है। हम अपना संकल्प दोहराते हैं कि जनता को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने वाली योजनाओं का निजीकरण करके उन्हें समाप्त करने के खिलाफ संघर्ष जारी रखेंगे। 
 
आइफा गर्व से कहती है कि हम अपने संघर्षों को तेज करके, वर्कर्स और आम जनता को लामबंद करके निरंतर संघर्षों द्वारा हम कुछ उपलब्धियां हासिल कर पाए हैं। पिछले तीन सालों में ( 2016 - 2018 ) , में हम प्रत्येक राज्य सरकार और अब भारत सरकार को भी आंगनवाड़ी वर्कर्स व हैल्पर्स का वेतन बढ़ाने के लिए मजबूर कर पाए। हमें विश्वास है कि इससे न केवल आंगनवाड़ी कर्मचारियों को हौसला मिलेगा कि वे अपनी मांगों पर और भी जुझारू संघर्ष आयोजित कर सकें, बल्कि मजदूर वर्ग के सभी तबकों जैसे मजदूर, खेतिहर मजदूर व किसानों को भी हौसला मिलेगा। हम देश के सभी आंगनवाउ़ी कर्मचारियों का आह्वान करते हैं कि आने वाले दिनों में केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा घोषित दो दिवसीय हड़ताल सहित अपने बुनियादी अधिकारों के लिए और भी जुझारू संघर्षों की तैयारी करें। 
 
जारीकर्ता
ए आर सिंधु, महासचिव 

 

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