आइफा, देश के आधे से अधिक कुपोषित बच्चों के विकास के प्रति मोदी -2 सरकार के निर्दयी रवैये पर रोष और निराशा व्यक्त करता है। 
आईसीडीएस के लिए बजट में कोई वृद्धि नहीं की गई है, कोर आईसीडीएस सेवाओं के लिए 9834.27 करोड़ रूपए और अम्ब्रैला आईसीडीएस के लिए 27584.37 करोड़ रूपए आवंटित किए गए है। जैसा कि हमने पहले ही बताया है, बजट में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के बढ़े हुए पारिश्रमिक को लागू करने के लिए आवश्यक आवंटन भी नहीं किया गया है। इस वजह से अधिकांश राज्यों में बढ़ा हुआ पारिश्रमिक अभी तक लागू नहीं किया गया है।

कुपोषण के कारण बिहार के मुजफ्फरपुर में बच्चों की दुखद मौत के मद्देनजर और आंगनवाड़ियों के खराब बुनियादी ढांचे को देखते हुए, आईसीडीएस को मजबूत बनाया जाना चाहिए ताकि बजट में वृद्धि के साथ पूर्णकालिक आंगनवाड़ी सह क्रेच की स्थायी व्यवस्था की जा सके। लेकिन सरकार हमारे बच्चों के विकास के हितों की उपेक्षा कर रही है।

मोदी 2 सरकार की अमीर परस्त नीति जिसके तहत राष्ट्रीय संपत्ति के निजीकरण जैसे सार्वजनिक क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों का निजीकरण, श्रम कानूनों में बदलाव आदि, इस बजट में भी परिलक्षित होती है।
पिछले कुछ हफ्तों में भाजपा समर्थक मीडिया और सोशल मीडिया द्वारा भ्रम फैलाने के लिए प्रचार किया गया था कि सरकार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का वेतन 18000 रू प्रति माह तक बढ़ा रही है, जिसका अब पर्दाफाश हो गया है। 

आइफा ने देश के आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं से आह्वान किया कि वे आइफा मांग दिवस - 10 जुलाई 2019 को बड़ी संख्या में सड़कों पर आएं और आईसीडीएस को मजबूत बनाने की आवश्यकता पर ज़ोर दे और गरीब महिलाओं व बच्चों के प्रति मोदी सरकार के नकारात्मक रवैये के खिलाफ विरोध दर्ज करें। 
जारीकर्ता

ए आर सिंधु
महासचिव
AIFAWH